डेढ़ साल के बेटे को लेकर दर-दर भटकते पिता को नहीं मिल रहा न्याय प्रशासन भी बैठा चुप्पी थाम कर
लखीमपुर खीरी
मामला पिपरिया बाईपास का है पीड़ित का नाम अनुनय उर्फ सचिन शुक्ला है।जिसके पिता रामगोपाल नारायण शुक्ला का देहांत 22 /10 /18 को हुआ था जो की यू पी 100 में
हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे जिनका सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया देहांत होने के बाद अनुनय उर्फ सचिन शुक्ला को सचिन शुक्ला की मां ने अपने घर से अपने बेटे और बहू को घर से निकाल बाहर किया बेटे के लाख मिन्नत करने के बाद भी मां ने अपने बेटे को अपने ही घर में आसरा नहीं दिया जब मां ने घर से निकाल दिया तो बेटा मजबूर हो गया अपनी ससुराल में रहने के लिए कुछ सालों बाद अनुनय की पत्नी प्रियंका का बीमारी के चलते देहांत हो गया अनुनय अपनी पत्नी को अपने घर ले आया जोकि वहां उसका अंतिम संस्कार किया अंतिम संस्कार करने के बाद अनुनय की मां ने कहा अब तुम मेरे घर से निकल जाओ अब वह बेचारा अपने डेढ़ साल के बच्चे को लेकर कहां जाए उसने लगाई न्याय की गुहार खट खटाया कोर्ट का दरवाजा लखीमपुर कोतवाली में भी दिए प्रार्थना पत्र इसके बाद भी प्रशासन पीड़ित को न्याय नहीं दिला पा रहा उल्टे अनुनय उर्फ सचिन शुक्ला से पुलिस खुद कहती है की आप इस घर पर कब्जा नहीं कर सकते आपको इस घर से कुछ भी नहीं मिलेगा आप इस घर के चक्कर में ना पड़े आप उसे छोड़ दें आखिर क्यों पीड़ित अपने बच्चे को लेकर कहां जाएगा जिसकी ना तो मां है ना तो उसकी देखरेख करने वाला कोई,कैसा होगा इस बच्चे का भविष्य आखिर क्यों नहीं चेत रहा प्रशासन क्यों नहीं मिल रहा पीड़ित को न्याय क्यों बनाया जा रहा पीड़ित पर दबाव।इस पूरे प्रकरण में प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे है।फिलहाल पीड़ित दर दर भटक रहा है बस इस आस में कई कब उसे न्याय मिलेगा और वह अपने हक को प्राप्त कर सकेगा।खैर ये तो वक्त निर्णय करेगा लेकिन प्रशासन को इस पूरे मामले पर निष्पक्षता के साथ कार्यवाही करने की आवश्यकता है अन्यथा पुलिस प्रशासन की वास्तविक और कार्मिक जिम्मेदारी पर कहीं न कहीं दाग लगेगा।