किसी भाषा या क्षेत्रीय असिमता के राज्य में जाकर देखे आपको शीघ्र अहसास हो जायेगा कि भाषा और क्षेत्रीयता क्या होती हैं।
(यह कहना है उत्तराखंड क्रान्ति दल के विधायक उम्मीदवार राकेश चौहान का)
श्री न्यूज24से मुकेश रत्नाकर रामनगर नैनीताल उत्तराखंड।
ज्यादातर भाजपाई तर्क दे
रहे हैं कि मै तो भाजपा को सपोर्ट करता हूं, क्योंकि मै राष्ट्रवादी हूं। दिमाग मे भर दिया गया है ये, जबकि हकीकत ये है कि इस देश मे अलगाववादी विचारधारा को छोड़ सभी राष्ट्रवादी ही हैं, उसके लिये सिर्फ भाजपा का सदस्य और समर्थक अनिवार्य शर्त नही है।
लेकिन उत्तराखंडियों राष्ट्रीय दलों की ऐसी भक्ति भी क्या ? कि मूल निवास और भू कानून खत्म आपके राज्य क्षेत्र का बंटाधार ही कर दे, उनकी नीतियां आपको आपके ही गृह क्षेत्र से दूसरे राज्यों मे रोजगार और सुविधाओं के लिये पलायन करने पर विवश कर दे। अगर आप अपने क्षेत्र का ही हित नही देखते तो आप खाक समूचे राष्ट्र के हित की चितां करेगें, तो क्या आपके भीतर राष्ट्रीयता रहेगी? सीखना है तो अपनी शादी समारोहों मे जिन पंजाबी गानों पर झूमते हो, उसी पंजाब से सीखिये कैसे बोली भाषा और संस्कृति को समृद्ध बनाकर पंजाबी को कनाडा और ब्रिटेन मे भाषा का दर्जा दिलवा दिया।
किसी भाषाई या क्षेत्रीय अस्मिता के राज्य मे जाकर देखें आपको शीघ्र अहसास होगा कि अपनी बोली भाषा क्षेत्रियता क्या होती है? दूसरे राज्य मे जब मूल निवासी को आप पर प्राथमिकता होगी तब आपको समझ आयेगा कि मूल निवास और स्थाई निवास मे क्या फर्क है ? और हमसे क्या छीना गया वोट बैकं की खातिर। समर्थन करो लेकिन उनकी नही अपनी मांगो पर। नही मांग पूरी हो तो नेता का कॉलर पकडने और झटका देने की कुव्वत भी रखो, नही तो अंध समर्थक ही कहलाये जाओगे। क्योंकि जिस नेता के चक्कर मे हम रहते है वो चुनाव के समय दल बदल देता है।